RATU FORT रातू किला

अनोखा झारखण्ड रांची में आपका स्वागत है ,आज हम आपको रातू किले RATU FORT के बारे में बताएंगे | | पहले के राजा महाराजा के बारे में जानते ही होंगे ,भारत देश में राजाओ महाराजाओ का शासन चलता था उन्ही में से एक नागवंशी राजवंश भी था वे राजधानी वर्तमान के झारखण्ड राज्य के नवरतनगढ़ रातू में है | इस राजवंश के अनेको शासक थे इसकी स्थापना 83 में हुईं थी तथा 1952 में अंत हुई  | 

Ratu fort ranchi

शासक 

nagvanshi family

1  राजा फणिमुकुट राय  64 -162 ई. 

2   राजा   मुकुट राय 162 -221 

3 राजा घट राय 221 -278 

4 राजा  मदन राय 278 -307 

5 राजा प्रताप राय 307 -334 

6 राजा कंदरप राय 334 -365 

  7 राजा गोंडु राय  548 -563  

8 राजा हरि राय 563 -601 

9 राजा गजराज राय 601 -627 

10राजा सुन्दर राय 627 -635 

11 राजा मुकुंद राय 635 -653  

12 राजा उदय राय 653 -710 

13 राजा कंदन राय 710 -756 

14 राजा जगन राय 756 -772 

15 राजा भगन राय 772 -811 

16 राजा मोहन राय 811 -869 

17 राजा जगधट राय 869 -905 

18 राजा चंद्र राय 905 -932 

20 राजा अनंदुनंद राय 932 -969 

21 राजा श्रीपती राय 969 -997 

22 राजा   जोगनंद राय 997 -1004 

23 राजा नुपेन्द्र राय 1004 -1047 

24 राजा गंधर्व राय 1047 -1098 

25 राजा भीम कर्ण 1098 --1132 

29 राजा जोश जश 1132 -1180 

30 राजा जय कर्ण 1280-1218 

31राजा गो कर्ण 1218-1236  

32 राजा शिवदास कर्ण 1367 -1389 

34 राजा उदय कर्ण 

35राजा प्रताप कर्ण 

36 राजा छत्र कर्ण 

37 राजा भिरात कर्ण 1497 -1501 

38 राजा पानकेतु राय 1501 -1512 

40 राजा बैदोसाल 

41 राजा मधु सिंह 

42 राजा बैरीसाल 1599 -1614 

43 राजा दुर्जन साल 

44 राजा राम शाह 

45 राजा रघुनाथ शाह 1665 -1706 

46 राजा यदुनाथ शाह 1706 -1724 

47 राजा शिवनाथ शाह 1724 -1733 

48 राजा उदयनाथ शाह 1733 -1740 

49 राजा श्यामसुन्दर नाथ शाह 

50 राजा बलराम नाथशाह  

51 राजा महिनाथ शाह 

52 राजा ध्रुपनाथ शाह 

53 राजा राजा देव नाथ शाह 

54 राजा गोविन्द नाथ शाह देव 1806 -1822 

55 महाराजा जगन्नाथ शाह देव 1817 -1872 

56 महाराजा उदय प्रताप नाथ शाह देव 1872 -1950 

57 महाराजा लाल चिंतामणि शरण नथा शहदेव 1950 -1952 

कहा जाता है की नागवंश राज्य की स्थापना फणिमुकुट राय ने की थी इन्हे आदि पुरुष भी कहा जाता है ,इन्होने अपनी राजधानी सुत्याम्बे को बनाया था जहां सूर्य मंदिर sury mandir  का निर्माण करवाया था और बाद में फणिमुकुट राय के बाद नागवंशी शासक व्यवस्था में मदन राय ,प्रताप राय शासक करते सुतयाम्बे से चुटिया राजधानी ले गए | इस प्रकार शासक बलदेव गए नए -नए राजा आते और अंत में यह राजधानी रांची में निर्माण करवाया और यह रातू राजागढ़ को बनाया और वही से अपने शासक व्यवस्था का संचालक किया तथा वही से यह रातू राजगढ़ के नाम से प्रचलित होता  चला गया |  

कहा जाता है की राजा को एक साप के फन के निचे पाया गया था जिसे मदरा मुंडा ने गोद लिया था,| इसके बाद उन्होंने उसे ही सम्राज्य सौप दिया तब से यह चलते आ रहा है | पहले 62 -64 राजा थे और इस किले को नागवंशी शासक के एक 61 वे राजा ने बनाया था | कहा जाता है की 64 वे के बाद कुछ कारणो से राजवंशी को श्राप दे दिया गया था जिसके कारण से उनके वंशज  होने बंद हो गए थे उसी समय से महलो में एक भी पुत्र जन्म नहीं ले पाते थे | धिरे -धिरे इस प्रकार से किले के राजा अंत में महाराजा चिंतामणि शरण नाथ सहदेव रहे इस राजा चिंतामणि जी ने और उनके परिवार वालो ने राँची को बहुत कुछ दिया इस राजघराने ने राँची में क्लब जीएलचर्च ,गोसनर कॉलेज ,रांची यूनिवसिटी आदि के लिए जमीन दान में दिए | चिंतामणि जी ने आस -पास के गावों को बहुत कुछ दिए तथा लोगो के लिए भी बहुत कुछ किया जो कोई भी उनके पास मदद के लिए जाता उन्हें वे मदद करते थे वे गरीबो की हमेशा मदद करते थे और लोगो की जरुतो का भी ध्यान रखते थे | बाद में चिंतामणि जी की मृत्यु हो गई |  

                      Ratu Palace Ranchi

ratu fort ranchi jharkhand

                         anokha jharkhand

ratu fort

इस रातू किले को लाल किला भी कहा जाता है, क्योकि यह लाल पत्थर से बना है ,तथा यह बहुत ही सुन्दर दिखाय देता है यहां  ऊंची   -ऊंची इमारते बनी हुई है इस किले के अंदर बड़े -बड़े विशाल पेड लगे हुए है जो बहुत ही सुन्दर दिखाई  देते है | यहां एक सुन्दर सा बगीचा  भी है जिसपे अलग -अलग फूल लगे है जो कितना सुन्दर दिखाई देता है जो लोगो को अपनीओ आकर्शित करती है यह घूमने के लिए अच्छा जगह है लेकिन यह खुला नहीं रहता है | यह किला 22 एकड़ जमीन में फैला हुआ है इसमें 103 कमरे है यह महल 1899 में बनना शुरू हुआ था और कलकत्ता के ब्रटिश आर्किटेक्ट्स की देखरेख में बनाया गया ,1901 में रातू राजागढ़ राजमहल बनकर तैयार हुआ | रातू किले के बगल में एक पार्क भी बनाया गया है जहा लोग घूमने के लिए  बच्चे एवं बड़े सभी आते है | 


रातू राजागढ़ बहुत ही जाना माना है ,इसे देखने के लिए बहुत दूर -दूर से लोग आते है | यह एक भव्य राजमहल है जो अंग्रेजो के ज़माने में हुआ करती थी ,जहाँ आपको अंग्रेजो के ज़माने में युद्ध में प्रयोग किये  जाने वाले अस्त्र -शस्त्र आपको इस महल में देखने को मिलेगी | इस राजमहल को देखने पर राजा महाराजाओ की याद दिलाती है ,यह उस समय की एक सच्ची घटना का प्रतीक है | जो 150 साल पुराना किला है 

 नागवंशी राजघराना दुनिया का ऐसा राजघराना  है ,जिसने कभी भी जनता से लगान नहीं लिया इस लिए जनता उन्हें जनता पसंद करती थी | आज भी इसकी चर्चा होती है |

इस राजमहल में चिंतामणि जी मंदिर बनाया गया है ,यहाँ दुर्गा पूजा भी मनाया जाता है | इस पूजा उपासना के साथ -साथ माँ को प्रसन्न  करने के लिए बलि दी जाती है | बलि देने की प्रथा काफी पुराणी मान्यता मानी जाती है बहुत जगहों में देखा गया है की बकरे की बलि दी जाती है लेकिन यहां अलग ही होता है | रातू स्थित राजमहल में एक पुनः जन्म लिया हुआ एक छोटे भैंसे की बलि दी जाती है यह प्रथा सदियों से चली आ रही है इस प्रथा की शुरुआत नागवंश के पहले राजा फणिमुकुट राय ने की थी|Ratu kila in Hindi

राजा  फणिमुकुट राय शक्ति के उपासक थे इन्होने माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए बलि देकर पूजा की शुरुआत की थी उसी समय से छोटानागपुर पर शासन करने वाले 61 वे महाराज प्रताप उदयनाथ शाहदेव ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया | इस तरह किले में माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा पूजा की शुरुआत की और चिंतामणि जी  ने भी इस प्रथा को कायम रखा आज भी को मनाया जाता है | दुर्गा पूजा में जिस भैसे की बलि दी जाती है वह नवमी ररात को चढ़ाई जाती है इस प्रथा को देखने के लिए दूर -दूर से लोगो का अधिक संख्या में आना  होता है उसी समय किले का दरवाजा खोल दिया जाता है यहा अन्य राज्यों के देखने के लिए  आते है और माँ दुर्गा की दर्शन  करते है | यह दुर्गा पूजा 170 वर्षो से किले मेंमाँ की पूजा की जाती है इसी परम्परा को राजा चिंतामणि ने कायम रखा और किले के बाहर  विशाल मेला लगाया जाता है|       Ratu Maharaja History in hindi  

 छोटानागपुर में भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है ,यह पूजा इस किले में 160 वर्षो से की जा रही है | इस पूजा को महाराजा प्रताप उदय नाथ शाहदेव द्वारा रातू में रथ यात्रा की शुरुवात की गई थी महाराजा प्रताप उदय नाथ सहदेव ने पूरी से भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा भाई बलभद्र को मांग कर रातू किला में विधि -विधान से पूजा अर्चना प्रारंभ की गई थी | इस प्रकार से  जगन्नाथ जी की पूजा शुरू हुई जिसे छोटका गढ़ के नाम से जाना जाता है |                        

महाराजा प्रताप उदय नाथ सहदेव द्वारा शुरू की गयी रथ यात्रा  को राजा चिंतामणि की मृत्यु  के बाद  भी कायम रखा गया भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा ,भाई बलभद्र को दाल -भात और सब्जी विषेस प्रिये है | इसी कारण वस उन्हें भोग लगाया जाता है और धूम धाम से मनाया जाता है |  

रातू में मेला 

रातू किले में रथ यात्रा के समय किले के बहार विशाल मेला लगाया जाता है ,मेले में अलग -अलग राज्यों के लोग आते और मेले में शामिल होते है | मेले में आप को बच्चों के खेलने के लिए अनेको चीजे मिलेगी तथा आप भी मनोरंजन का लाभ उठा सकते है यहां आपको घरेलू समान भी मिलेगी जिसे आप उपयोग के लिए खरीद सकते है इस मेले को देखने के लिए  अधिक से अधिक संख्या में लोग आते है | 

जाने का मार्ग :-

ratu kila direction

1. रातू किला बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से 20. 7 किलोमीटर पर स्थित है | 


2. रातु किला रांची रेलवे स्टेशन से 15 . 9 किलोमीटर पर स्थित है | 


3. रातू किला खाद गड़ा बस स्टैंड से 22 किलोमीटर पर स्थित है|

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