NILAMBER -PITAMBER नीलाम्बर-पीताम्बर

भारत की आजादी में अनेको वीरो ने आपने योगदान दिया है और वीरता प्राप्त किया | भारत के कई राज्यों में अंग्रेजो का अत्याचार आदिक बढ़ रहा था ,जिसमे एक राज्य झारखण्ड था | झारखण्ड में बसे उन तमाम जनजातियों पर राजाओ और अंग्रेजो द्वारा शोषण ,अत्याचार और राजस्वा वसूला जाता था ,जिसके कारन उन जनजातियों को बहुत ही कष्टों का सामना करना पड़ता था | 

अंग्रेजो ने 1772 ई. को पलामू में अपनी नजर जमाई उनका मूल मकसद था ,राजस्वा वसूलना जिसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते थे | अंग्रेजो के दिन प्रति दिन अत्याचार बढ़ते जा रहा था | इस बढ़ाते अत्याचार को देखते हुई पलामू के दो वीर भाई Nilamber -Pitamber नीलाम्बर -पीताम्बर अंग्रेजो के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम का विगुल बजाय था | Nilamber Pitamber biography


Nilamber-Pitamber


नीलाम्बर -पीताम्बर का जीवन परिचय 

Nilamber Pitamber Wikipedia

नीलाम्बर और पीताम्बर का जन्म 10 जनवरी 1823 ई. को झारखण्ड राज्य के गढ़वा जिले के चेमो -सनाया गांव में खरवार की उपजाति भोगता परिवार में हुवा था | जो पलामू क्षेत्र में पड़ता है ,नीलाम्बर और पीताम्बर का पूरा नाम नीलाम्बर सिंह और पीताम्बर सिंह था उनके पिता का नाम चेतु सिंह था | जो एक जागीरदार थे ,पिता के मृत्यु के बाद अल्प आयु में ही नीलाम्बर अपने छोटे भाई पीताम्बर की देख -भाल और पालन पोषण किया | पिता के मृत्यु के बाद नीलाम्बर और पीताम्बर के हिसे में जागीरदारी एक नाम मात्र रह गयी थी | दोनों भाई कठिन परिश्रमों से युद्ध कला सिखी जैसे गुरिल्ला युद्ध ,तीर - धनुष ,कुलड़ी ,मसाल आदि अस्त - सस्त्रो को चलना | नीलाम्बर का एक पुत्र था जिसका न साजन सिंह था | Where was nilamber Pitamber born?

नीलाम्बर और पीताम्बर की मृत्यु 28 मार्च 1859 ई.को स्वतंत्रता आंदोलन के विद्रोह में अंग्रेजो ने  सरेआम एक पहाड़ी की गुफा के सामने आम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था साथ ही उनके साथियो के 150 देशभक्तो को भी फांसी दे दिया गया | 
                                                                    anokha jharkhand 
Nilamber pitamber photo

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान 
nilamber pitamber freedom fighter in jharkhand
चल रहे 1857 के विद्रोह को नीलाम्बर ने करीब से देखा था ,जिसे देख नीलाम्बर को बहुत ही बुरा लगा | अंग्रेजो के द्वारा बढ़ रहे अत्याचार ,शोषण और राजस्वा वसूलने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते थे | उसी वक्त नीलाम्बर ने अपने छोटे भाई पीताम्बर से विचार विमर्श कर अंग्रेजो द्वारा बढ़ रहे अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह की योजना तैयार की उसी क्रम में स्थानीय लोगो खरवार ,चेरो और भोगताओ की समूह को संगठित किया और युद्ध का बिगुल बजाय था | 
नीलाम्बर -पीताम्बर गुरिल्ला युद्ध में माहिर थे तथा अपने साथ कुलड़ी ,तीर ,धनुष और मशाल जैसे परम्परागत अस्त्र -शास्त्र रखते थे और वे इन सभी युद्ध कलाओ में निपूर्ण थे | 
दोनों भाई के नेतृत्व में 21 ऑक्टूबर 1857 को जैनपुर ,शाहपुर तथा लेस्लीगंज स्थित अंग्रेजो के कैम्प पर 500 देशभको के साथ आक्रमण कर दिया ,आक्रमण में बरी मात्रा में क्षति पहुंचाई लेकिन रघुवरदया सिंह से पराजित हो गए परन्तु लेस्लीगंज तथा शाहपुर के आक्रमण में सफलता प्राप्त हुई | उसके बाद नवम्बर 1857 तक नीलाम्बर -पीताम्बर के नेतृत्व में पलामू क्षेत्र में अंग्रेजो के विरुद्ध स्वतंत्रता आंदोलन के विद्रोह को फैला दिया | 
जिससे घबराकर कमिशनर डाल्टन मद्रास इंफेंट्री के 140 सैनिक ,रामगढ़ घुड़सवार की छोटी टुकड़ी के साथ 16 जनवरी 1858 को पलामू के क्षेत्र आ गए थे | दोनों भायो के नेतृत्व में इस विद्रोह को रोकने के लिए एड़ी -चोटी का जोर लगा दिया | नीलाम्बर -पीताम्बर को पकड़ने के लिए अस्थानिये लोगो पर अंग्रेजो के द्वारा अत्याचार करने लगे ,उनके घर जला दिए और उन्हें मारपीट करते थे और सजा भी देते थे दोनों भायो को जहां -जहां से मदद मिल रही थी उसे भी रोका गया और कड़ी नज़र रखा जा रहा था साथ ही उनके कई भरोसे मंद लोगो को बंदी बनालिया गया और नीलाम्बर -पीताम्बर की जानकारी प्राप्त करने  उन्हें पीड़ा देने लगे लेकिन भी नेता की जानकारी नहीं बताये | नीलाम्बर -पीताम्बर की सूचना नहीं मिलने के कारन अंग्रेज और बोखला गए और उसे ख़ोजने के लिए यहां वहां अपने गुप्तचर को भेज दिया |  नीलाम्बर -पीताम्बर अपने संघटित साथियों के साथ जंगलो और गुफाओ में रहने लगे कुछ समय बाद किसी कारन से मिलने अपने सम्बन्धी के पास गए थे उसी वक्त किसी जासूसों की सूचना पर अंग्रेजो की सेना ने पलामू आंदोलन कारी नीलाम्बर -पीताम्बर को गिरफ़्तार कर  लिया गया बिना मुकदमा चलाये हुए उन्हें 28 मार्च 1859 को सरे आम एक पहाड़ी की गुफा के सामने आम के पेड़ पर फांसी दे दिया गया फांसी के समय डाली टूट जाती है तो भी फिर से फांसी पर लटकाया जाता है ये नियम के विरुद्ध होता है लेकिन उन वीर स्वतंत्रता आंदोलन विद्रोह के नेता को फांसी पर लटका दिया जाता है उनके साथ ही विद्रोह में  भाग लेने वाले 150 देशभगतो को भी फांसी दे दिया गया | 

इस लिया आज भी उन वीर स्वतंत्रता आंदोलन के विद्रोह के योद्धा नीलाम्बर -पीताम्बर का नाम अमर है | 

नीलाम्बर -पीताम्बर के सम्मान में 

nilamber pitamber history in hindi

1857 की विद्रोह गाथा सभी ने सुनी होगी जो अंग्रेजो के खिलाफा लड़ी गयी थी जिसमे अंग्रेजो के छक्के छुड़ा दिए थे | स्वतंत्रता आंदोलन के विद्रोह के नेतृत्व करनी वाले योद्धा नीलाम्बर -पीताम्बर थे जिनकी मृत्यु 28 मार्च 1859 को फांसी दे दिया गया था जो झारखण्ड वासियो के दिलो में आज भी जीवित है | 

उनके सम्मान  में कई विधालय ,विश्विधालय ,पार्क और उनकी कई जगहों पर भव्य मुर्तिया बनायी गयी है जिसे सभी पूजते है | 


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